MA SEMESTER 3 ABBASSI AGE / GOLDEN AGE
अब्बासी खिलाफत को दो कालों में विभाजित किया जा सकता है। एक तो प्रारम्भ (अबुल अब्बास) से खलीफा वासिक अर्थात् 750 ई० से 847 ई० तक का काल जिसे पूर्व अब्बासी काल कहा जाता है और दूसरे काल का आरम्भ खलीफा मुतावक्किल अन्तिम खलीफा अर्थात् 861 ई० में होता है ।
उत्तर अब्बासी काल में 9 प्रसिद्ध खलीफा हुए जिनमें मंसूर, मेंहदी, हा रशीद, अलमामून आदि उल्लेखनीय है। यही काल अब्बासी खिलाफत का स्वर्ण युग था, जैसा प्रो० हिट्टी ने लिखा है "The Abbasid dynasty attained its most brilliant period of
political and intellectual life soon after its establishment. The Bagh dad Caliphate founded by al-Saffah and al-Mansur reached its prime in the period between the reigns of the third Caliph, al-Mahdi and the ninth al-Wathiq." " सम्पूर्ण एवं अब्बासी काल में विभिन्न क्षेत्रों में हुई उन्नति की अलग-अलग चर्चा यहाँ की जा रही है
राजनैतिक उन्नति
नवीं शताब्दी में विश्व राजनीति में हारुन का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान था, उसने शलमैन से मित्रता का सम्बन्ध स्थापित किया जिसके पीछे एक राजनीतिक उद्देश्य भी था । अलमेहंदी के काल में बाइजनतीनियों से फिर युद्ध प्रारम्भ हुआ जिनको हारून रशीद के काल में बुरी तरह परास्त किया गया और वहाँ के शासक ने खिराज देना स्वीकार किया। इसके अतिरिक्त अन्य विरोधी शक्तियों का अन्त किया गया ।
अब्बासी काल में शासन व्यवस्था में भी परिवर्तन हुए। वजीर का नया पद तथा ब्योरो आफ टेक्स (Bureau of Taxes ) आडिट तथा एकाउन्टस, डाक तथा समस्त पुलिस आदि विभागों की स्थापना नए ढङ्गों से की गई। यद्यपि खलीफा शक्ति का स्रोत था, फिर भी व्यवहार में वजीर के अधिकार बहुत ज्यादा थे। शुस्त्री
के शब्दों में "It was the duty of the Wazir to act as intermediary bet ween the omnipotent sovereign and his people, to counsel him in affairs of state and above all, to keep the majesty in good humour."
-Shushtery
सामाजिक उन्नति
समाज का प्रथम वर्ग खलीफा, उसके सम्बन्धियों तथा पदाधिकारियों का था खलीफा बड़ा वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे। महमूद के कथनानुसार--
"The Abbasid Caliphs and the Abbasid princes lived mag nificently. They early adopted the Persian style of living and gradua lly became more and more Persianized."
-S. F. Mahmud
बगदाद का शाही महल तथा उसकी सजावट के सामान जैसे कालीन, परदे, फर्श इत्यादि ऐसे थे जो एशिया के किसी अन्य देश में न थे । मल्का जुबेदा के दस्तर खान पर केवल जवाहर जड़े हुये सोने चाँदी के बर्तन लगाए जाते थे। उसने अपनी जूतियों में असली जवाहरात टकवाए। इस काल में बगदाद में असंख्य हम्माम (Baths) बनाए गए जो न केवल स्नान आदि के लिये बल्कि विलासिता के लिए प्रयोग किए जाते थे। विशेष अवसरों पर भिन्न-भिन्न प्रकार के शरबत तथा शराब भी दी जाती थी। खलीफा मामून के विवाह तथा खलीफा अलमुकदिर के दरबार में रोमी दूतों के आगमन के अवसर पर इन रुपया खर्च किया गया कि इसका कोई अन्य उदाहरण नहीं मिलता।
आर्थिक उन्नति
अब्बासी काल में व्यापार, कृषि तथा उद्योग-धन्धों ( Industries) की अत्य धिक उन्नति हुई। बगदाद उस समय एक महान व्यापारिक केन्द्र था और अरबवासी चीन तथा पश्चिम में मराकश तक व्यापार हेतु जाने लगे । खेती के लिए बंजर भूमि को उपयोगी बनाया गया और नहरों का जाल-सा बिछा दिया गया जिससे बनाज फल, तरकारी इत्यादि काफी संख्या में उत्पन्न होने लगा। अब्बासी काल में हस्त कला का भी विकास हुआ। सूती तथा रेशमी कपड़े व कालीन विभिन्न प्रकार के बर्तन, शीशा और कागज पर्याप्त मात्रा में बनाये जाते थे। इस तरह इस काल में आर्थिक उन्नति तेजी से हुई।
साहित्यिक तथा वैज्ञानिक उन्नति
अब्बासी काल साहित्य, कला तथा विज्ञान की उन्नति के दृष्टिकोण से भी स्वर्ण युग कहलाने का अधिकारी है। इस काल में काव्य-कला की उन्नति दरबार की संरक्षता में हुई। खलीफा प्रशंसा काव्य (panegyric) को बहुत पसन्द करते थे और खूब पुरस्कार देते। इस काल के काव्य पर ईरानी प्रभाव स्पष्ट रूप से पड़ा। इसके अतिरिक्त तुकात्मक गद्य (Rhymed prose) के कई ग्रन्थ 'मकामह' (Assembly) के नाम से बदी-उल-जमाँ और हरीरी द्वारा रचे गये । इसी काल में धार्मिक साहित्य का भी खूब विकास हुआ और हदीस की प्रसिद्ध पुस्तकों 'सही बुखारी' तथा 'सही मुस्लिम' के अतिरिक्त 'सुन्नत' (Customs of the Prophet ) तथा सूफीवाद पर भी अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना की गई।
अब्बासी काल के कुछ प्रसिद्ध व्याकरणवेत्ता तथा भाषा वैज्ञानिक (Philo logist) भी हुए। कई शब्द-कोषों की रचना हुई बलाधुरी, दोनवरी और मसूदी जैसे प्रसिद्ध इतिहासकर भी हुए जिनकी ऐतिहासिक पुस्तके बहुत प्रसिद्ध हुई। भूगोल तथा दर्शनशास्त्र पर इस काल में अनेक पुस्तकें लिखी गई ।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अब्बासी काल में साहित्य के हर क्षेत्र में
असीम उन्नति हुई। इसके साथ ही विज्ञान की विभिन्न शाखाओं चिकित्सा शास्त्र, ज्योतिषशास्त्र और गणितशास्त्र की जितनी उन्नति इस काल में हुई उतनी किसी और समय में नहीं हुई। अब्बासी काल में विज्ञान की इस उन्नति का मुख्य कारण वह बौद्धिक जागृति थी जो ईरानी, सुरयानी, संस्कृत तथा ग्रीक भाषाओं के गणित, ज्योतिष, चिकित्सा सम्बन्धी ग्रन्थों के अनुवाद द्वारा अरबों में उत्पन्न हुई थी। इस काल में अनुवाद का
कार्य बड़ी तेजी से हुआ और अब्बासी खलीफाओं न इसको बहुत प्रोत्साहित किया ।
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परिणामस्वरूप ग्रीक भाषा से अरस्तू, प्लेटो, युकलिड गेलन (जालोनूस) बदलीस आदि की समस्त पुस्तकों का अनुवाद अरबी में किया गया। इसी प्रकार भारत के एक यात्री के द्वारा उन्हें ज्योतिषशास्त्र की एक कृति 'सिद्धान्त' तथा गणितशास्त्र की एक कृति मिली जिसके अनुसाद द्वारा उन्होंने अंकों (Numerals) का ज्ञान प्राप्त किया।
फारसी की बहुत सी पुस्तकों का अनुवाद भी किया गया। इस प्रकार बम्बासी काल में अनुवादों द्वारा विज्ञान सम्बन्धी ज्ञान का एक महान को अरबों के हाथ आ गया। प्रो० हिट्टी के शब्दों में :
"In only a few decades Arab scholars assimilated what had taken the Greeks centuries to develop."
-Prof. Hitti.
स्थापत्य कला की उन्नति
अब्बासी काल में स्थापत्य कला की भी उन्नति हुई। मंसूर ने बगदाद शहर की नींव रखी। इसके निर्माण में 4 वर्ष लगे तथा लगभग 49 लाख दिरहम खर्च हुए। इस कार्य के लिये सीरिया, ईराक तथा अन्य स्थानों से कारीगर लाये गये थे। इस शहर की इमारतें अपनी सुन्दरता के लिए बहुत प्रसिद्ध हुई । मंसूर ने एक महल 'कसरल खुल्द' के नाम से बनवाया। इसके बाग स्वर्ग के बागों जैसे थे बगदाद में स्थापत्य कला के बहुमूल्य नमूनों के अतिरिक्त अब्बासी खलीफाओं के बरमसी बजीरों के महल भी बहुत सुन्दर ढङ्ग से बनाए गये थे।
इस प्रकार हम देखते हैं कि उत्तर अब्बासीकाल के सुयोग्य खलीफाओं की रुचि के कारण इस वंश की खिलाफत की स्थापना के लगभग 1 शताब्दी के अन्दर ही विज्ञान कला, साहित्य और आर्थिक, राजनैतिक तथा अन्य क्षेत्रों में बहुत अधिक उन्नति हुई और यही कारण है कि पूर्व अब्बासी काल को इस्लामी युग का स्वर्ण युग कहा जाता है ।